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________________ ७८ पंचामृत मंत्री ने कहा- मुझे यही जानने के लिए राजां ने भेजा था। अब मैं जा रहा हूँ । मंत्री ने राजा को आकर निवेदन किया- राजन् ! उस स्त्री का अपने दोनों पतियों पर समान प्रेम हैयह कथन सत्य तथ्यरहित है । उसका प्रेम लघुभ्राता पर अधिक है और बड़े भ्राता पर कम है । राजा ने कहा - इस कथन का प्रमाण प्रस्तुत करो । केवल कह देने मात्र से ही यह सिद्ध नहीं हो सकता । मंत्री ने कहा- राजन् ! मैंने उससे पूछा तो उसने लघुभ्राता को पश्चिम दिशा में और ज्येष्ठभ्राता को पूर्व दिशा में भेजने के लिए कहा। जो पश्चिम दिशा में जाएगा उसको प्रातःकाल धूप सिर पर न रहेगी और सायंकाल लौटते समय भी धूप सिर पर न रहेगी । किन्तु पूर्व दिशा में जाने वाले को जाते समय और पुनः लौटते समय धूप सामने रहती है । उसने पश्चिम दिशा में भेजने के लिए छोटे भ्राता को कहा और बड़े भ्राता को पूर्व दिशा में भेजने को कहा -उसमें उसका स्पष्ट अनुराग झलक रहा है । राजा अमात्य की तीक्ष्ण बुद्धि को देखकर अत्यन्त O आह्लादित हुआ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003186
Book TitlePanchamrut
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1979
Total Pages170
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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