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प्रेम की परीक्षा
एक नगर में दो भाई रहते थे । जब वे छोटे थे, तभी उनके माता-पिता का निधन हो चुका था । दोनों भाइयों में पय-पानीवत् प्र ेम था जिसके कारण आर्थिक स्थिति दयनीय होने पर भी उन्होंने अपना विकास किया। जन- जिह्वा पर उनके प्रेम की चर्चा थी । लोग कहते कि त्रेतायुग में तो राम-लक्ष्मण का प्रेम विश्रुत रहा, किन्तु कलियुग में इन दोनों भाइयों के प्रेम ने एक आदर्श उपस्थित कर दिया ।
दोनों भाई युवा हुए । उनकी जाति में एक ही पत्नी के अनेक पति होते थे । इसलिए दोनों भाइयों ने एक श्रेष्ठ सुन्दरी से विवाह कर लिया । जनता यह देखकर आश्चर्यचकित हुई कि वह सुन्दरी भी दोनों भाइयों से एक समान प्रेम करती हैं। उसके हृदयपटल पर कहीं भी भेद-रेखा दिखाई नहीं देती । सभी उसकी मुक्तकण्ठ से प्रशंसा करते । राजा ने भी जब यह संवाद सुना तो उसके आश्चर्य का पार न रहा । उसने अपने प्रधान अमात्य से पूछा- यह कैसे संभव है कि एक पत्नी दो पतियों से समान प्र ेम कर सके ?
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