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मिथ्या अहं
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राजसभा से बाहर निकलने पर प्रधान अमात्य ने उससे कहा-- आज तुमने राजा को ठग लिया है ।
उसने कहा- मैं जानता हूँ राजा उतने बुद्धिमान नहीं होते । मुझे यह भी पता था कि आप जैसे बुद्धिमान व्यक्ति के सामने मेरी दाल न गलेगी । किन्तु मैं यह भी जानता था कि राजा इतने हठी होते हैं किं उनके सामने किसी की भी कुछ नहीं चल सकती । इस प्रकार के मूर्ख राजा अपने अहं के कारण राष्ट्र का हित साध नहीं सकते । राजा या शासक को सदा सूझ-बूझ का धनी होना चाहिए ।
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