________________
मिथ्या अहं ७३ राजा ने उत्सुकता से पगड़ी की ओर देखा और बोले-इस पगड़ी में ऐसी क्या विशेषता है ? शीघ्र ही मुझे वे विशेषताएँ बताओ।
आगन्तुक व्यक्ति ने कहा-राजन् ! उस सिद्धयोगी ने मुझे इस पगड़ी की हजारों विशेषताएँ नहीं बताई। उन्होंने मेरी जिज्ञासा पर कहा-इस पगड़ी की जो विशेषताएँ हैं वे संसार में एक ही राजा को ज्ञात हैं। जब तू इस पगड़ी को पहनकर उसकी राजसभा में जाएगा तो वह दस हजार स्वर्णमुद्राओं में इस पगड़ी को खरीद लेगा। योगी के कथन से उत्प्रेरित होकर मैं आपश्री की राजसभा में उपस्थित हुआ हूँ।
राजा ने पूछा-बताओ, वह राजा कौन है ?
उसने निवेदन किया---मुझे नहीं पता वह महान् राजा कौन है ? आप स्वयं राजा हैं। इसलिए आप ही राजा की महत्ता समझ सकते हैं, मैं नहीं।
राजा ने कहा-क्या मैं स्वयं इस पगड़ी को खरीद सकता हूँ?
आगन्तुक व्यक्ति ने निवेदन किया---आप विश्व के विज्ञ राजाओं में से एक हैं। मुझे लगता है कि योगी
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org