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श्रेष्ठ शासक
पाटलिपुत्र में एक अजीब चहल-पहल थी। सारे नगरनिवासी सम्राट अशोक का जन्मोत्सव मनाने के लिए कटिबद्ध थे। सभी दिव्य और भव्य उपहार लेकर सम्राट् के पास पहुंच रहे थे। संगीत और वाद्य की मधुर ध्वनि झनझना रही थी। प्रियदर्शी अशोक अपने कक्ष से आकर आराम कक्ष में बैठे। उन्होंने कहामेरे अन्तर्ह दय में ये विचार-लहरियाँ उद्बुद्ध हुई हैं कि प्रस्तुत उत्सव की मधुर स्मृति सदा-सर्वदा जन-मानस में अंकित रहे, अतः मैं अपने विशाल साम्राज्य के जितने भी शासक हैं उनसे यह जानना चाहूँगा कि उनमें से कौन श्रेष्ठ शासक है। इसके लिए अत्यधिक शीघ्रता करने की आवश्यकता नहीं, प्रत्येक प्रान्तपति अपनी श्रेष्ठता को सिद्ध करने के लिए अपने तर्क प्रस्तुत करें और यह प्रस्तुत करें कि उनके शासन में ऐसी कौन-सी उपलब्धि हुई।
प्रियदर्शी अशोक की प्रस्तुत घोषणा ने जन-मानस में एक अभिनव चेतना का संचार किया। सभी ने एक
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