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धर्म की महत्ता ६३ दूसरे क्षण उसने सोचा कि अमात्य अत्यन्त लोकप्रिय है, धर्मात्मा है। उसे मारने का अर्थ है जनता का विद्रोह मोल लेना। मुझे सर्वप्रथम गुप्तचर विभाग से अन्वेषणा करानी चाहिए कि नापित की हत्या क्यों हुई ? इसमें किसका हाथ है ?
राजा ने गुप्तचर विभाग के अधिकारियों को और नगररक्षक अधिकारियों से कहा कि शीघ्र ही इस बात का पता लगाओ कि मेरे अंगरक्षक का खून क्यों हुआ? भागते हुए उन गुण्डों को आरक्षक दल के अधिकारियों ने पकड़ लिया और उन सभी को राजी के सम्मुख प्रस्तुत किया। राजा के ऋद्ध होने पर उन गुण्डों ने कहा-राजन् ! हमारा कुछ भी अपराध नहीं है। हमें तो अपने पेट के लिए यह पाप करना पड़ा है। आपके अमुक-अमुक अधिकारियों ने हमें कहा कि अमात्य को मार दो। क्योंकि वह इतना न्याय और नीति-सम्पन्न है कि उसके सामने हमारी दाल नहीं गलती है। इसलिए हमने उस पर प्रहार किया।
राजा को सारा रहस्य ज्ञात हो गया कि नापित को मारने वाले ये लोग नहीं हैं, किन्तु अमात्य को मारने की भावना से ही यह षड्यन्त्र किया गया था। अमात्य पूर्ण निर्दोष है। मेरे अंगरक्षक के मन में
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