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________________ धर्म की महत्ता . एक राजा का प्रधान अमात्य जैन था। उसकी जैनधर्म पर गहरी निष्ठा थी। उसके जीवन में न्याय और नीति का साम्राज्य था। वह सदा कष्ट सहन करके भी दूसरों की भलाई के लिए तत्पर रहता था। राज्य में जितने भले आदमी थे वे अमात्य की परोपकारवृत्ति, देशभक्ति तथा धार्मिक भावना से प्रभावित थे। वे उसकी मुक्तकण्ठ से प्रशंसा करते थे। . राजा धर्म से द्वेष करतो था। वह धार्मिक साधनाओं का उपहास करता था। शिकार खेलना, मदिरा-पान करना और सदा रनिवास में पड़े रहना उसे पसन्द था। समय-समय पर अमात्य कहताराजन् ! आप पर राज्य की जिम्मेदारी है। आपको इस जिम्मेदारी का सम्यक् प्रकार से वहन करना चाहिए। राजा को मंत्री की यह बात बिलकुल पसन्द नहीं थी। वह अमात्य को निकालना चाहता था। क्योंकि स्वार्थी मानवों ने राजा के कान भरे थे। उन्होंने Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003186
Book TitlePanchamrut
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1979
Total Pages170
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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