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५६ पंचामृत कपट-वेष में मेरी परीक्षा लेने आए हैं। पर मैं अपने लक्ष्य में दृढ़ हूँ।
राजा भोज सती शिरोमणि को नमस्कार कर चल दिया। उसे विश्वास हो गया कि भारत की पुण्यभूमि में आज भी सतियों की परम्परा अक्षुण्ण रूप से चल रही है।
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