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૪૪ पंचामृत
सुनाया है । आप देख रहे हैं बीसलगाँव का सर्वनाश होनेवाला है तो फिर हिम्मत हारकर इस प्रकार कैसे बैठे हैं ? आप पुरुष हैं। वीर हैं । फिर कायर की तरह शान्त कैसे बैठे हैं ? आपको किसी भी प्रकार से बीसलगाँव की रक्षा करने को तैयार होना चाहिए। यह गर्म पानी तैयार है । पहले आप शीघ्र ही अपने आवश्यक कार्य से निवृत्त होइए। आप अपने संगीसाथियों की अन्वेषणा करें और मैं स्वयं शीघ्र ही जाकर ठाकुर साहब तथा ग्राम निवासियों को सावधान करती हूँ ।
केसरीसिंह ने साश्चर्य कहा - अभी तो तुम कह रही थीं कि ठाकुर साहब से बदला लूँगी और अभी कह रही हो कि मैं उन्हें सावधान करूँगी । यह रहस्य मेरी समझ में नहीं आया ।
वीरबाला ने मुस्कराते हुए कहा - मेरा वैर केवल ठाकुर साहब से है किन्तु बीसलगाँव से नहीं । मेरी मातृभूमि की रक्षा का प्रश्न है । वहाँ मुझे सर्वप्रथम अपना बलिदान देकर अपनी बहनों और माताओं की तथा भाइयों की रक्षा करनी है । आप शीघ्र तैयार होवें । मैं ठाकुर साहब को सूचना देने जाती हूँ । यह कहकर अपनी कटार को छिपाकर वीरबाला
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