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नारी का किम ३६
भयभीत मानव की चीत्कार गिरी। उसने चारों ओर आँखें उठाकर देखा। किन्तु वहाँ कोई मानव दिखाई नहीं दिया। जिधर से आवाज आ रही थी उसने छोड़ा उधर ही मोड़ दिया। उसने देखा एक भालू एक व्यक्ति पर झपट रहा है। केसरीसिंह ने इस प्रकार बाण मारा कि एक ही बाण में भालू जमीन पर गिर गया। भालू को देखकर वह व्यक्ति इतना घबरा गया था कि बेहोश होकर जमीन पर गिर पड़ा था। केसरीसिंह ने पास में जाकर देखा उस व्यक्ति के पास बहुत सारे कागजात थे। उसने ज्यों ही वह कागज पढ़ा उसमें लिखा थाबीसलगाँव पर हमलाकर ठाकुर रणधीरसिंह को मारना। उसके लिए एक दल को बुलाने के लिए पत्र लेकर वह व्यक्ति जा रहा था जो भालू से डर जाने के कारण बेहोश हो गया था । केसरीसिंह उसे होश में लाने का प्रयास कर रहा था। उसी समय झाड़ियों में से अनेक जंगली पशुओं ने उस पर हमला कर दिया। केसरीसिंह ने देखा-एक साथ सभी का सामना करना कठिन है, और इतने तीर भी नहीं हैं। अतः अपने प्राण बचाने के लिए वह पास ही बहती हुई नदी में कूद पड़ा। नदी का प्रवाह बहुत ही तेज था, वह पहाड़ी नदी थी। अतः उसे पार न कर सका। नदी में बहता चला
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