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बुद्धि कौशल ३७ और दोनों हार जिसे यह गायब होने का कह रहा था वे भी मिल गये। इसलिए इसे भयंकर दण्ड देना चाहिए। यदि गहराई से जांच न की जाती तो महारानी को कारागृह की हवा खानी पड़ती। पता नहीं इस जौहरी ने आज दिन तक कितने व्यक्तियों को अपने चंगुल में फंसाया, उन्हें धोखा दिया।
सभी सभासद जौहरी की काली करतूत पर थकने लगे। सभी उसके हाथ की सफाई को धिक्कारने लगे कि वह किस प्रकार नजर चुराकर आभूषणों की पेटी के गुप्त स्थान में हार को छिपा रखता था।
राजा ने कहा-इसका अपराध अक्षन्तव्य है। महारानी को धन्य है जो मिथ्या आरोप लगाने पर भी उसने पतिव्रतधर्म के कारण ननु-नच नहीं किया और कारावास के कठोर दण्ड को भोगने को तैयार हो गई। जौहरी को महान् अपराध के लिए देश निष्कासन का दण्ड दे दिया गया।
सभी ने प्रधान अमात्य के बुद्धि-कौशल की मुक्तकण्ठ से प्रशंसा की।
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