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३४ पंचामृत नहीं हुआ। क्योंकि अंगरक्षक सांवलसिंह तो कक्ष के बाहर ही था। इसलिए हार किसने गायब किया ?यह पता न लग सका। उनके चिंतित चेहरे को देखकर प्रधान अमात्य की धर्मपत्नी ने पूछा-कि आप अत्यधिक चिंतित रहते हैं, इसका क्या कारण है आप मुझे बताइए। मैं चिन्ता का समाधान कर सकती हूँ। ... महामात्य ने सारी रामकहानी उसे सुना दी। वह खिलखिलाकर हँस पड़ी—इतनी सी बात और आप इतने अधिक चिंतित हैं। मैं अभी इसका समाधान कर दूंगी। पर जरा मुझे भी आभूषण खरीदने हैं, आप उस जौहरी को बुलाइये।
प्रधान अमात्य के सन्देशवाहक ने जौहरी से कहा-अमात्य-पत्नी : बहुमूल्य आभूषण खरीदना चाहती है।
जौहरी दो पेटियां लेकर प्रधान अमात्य के यहां पहुँचा। एक पेटी उसने कमरे के बाहर रखी और दूसरी अन्दर । उसने सारे आभूषण अमात्य-पत्नी के सामने फैला दिये। अमात्य पत्नी ने एक हार पसन्द किया। जौहरी दूसरी पेटी लेने के लिए बाहर गया।
और जब वह पुनः लौटकर, देखता है तो हार गायब भा। उसने आँखों से आँसू बरसाते हुए कहा मुझे क्या
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