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बुद्धि कौशल ३१ प्रधान अमात्य ने बीच में ही बात काटते हुए कहा-केवल विश्वास के आधार पर कोई न्याय नहीं होता। न्याय के लिए विश्वास नहीं, किन्तु तथ्य अपेक्षित हैं और तथ्यों से ही सही न्याय संभव है।।
जौहरी एकदम चिल्ला पड़ा-इसका अर्थ यह हुआ कि मैंने चोरी की है।
प्रधान अमात्य ने गंभीर गर्जना करते हुए कहामैं नहीं कहता कि आपने चोरी की। संभव है महारानी के किसी अंगरक्षक ने भी चोरी की हो। इसलिए आपको घबराने की आवश्यकता नहीं है। केवल सात दिन का समय चाहिए जिससे सही सत्य-तथ्य की जानकारी की जा सके । मैं सोचता हूँ सारे सभासद भी मेरे कथन से सहमत होंगे।
एक स्वर से सारे सभासदों ने प्रधान अमात्य के कथन का समर्थन किया। राजा को सभासदों के सामने अपना निर्णय बदलने के लिए बाध्य होना पड़ा।
उसी समय महारानी ने उठकर राजा से प्रार्थना की-राजन् ! आपने गंभीर चिन्तन के पश्चात् जो निर्णय लिया है, मेरी दृष्टि से उसको पालन होना चाहिए। यदि उसका पालन नहीं हुआ तो प्रजा यही
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