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________________ बुद्धि कौशल ५ राजा संग्रामसिंह एक महान् न्यायी सम्राट् थे । उनके न्याय की प्रशंसा करते हुए लोग अघाते नहीं थे । आज राजा संग्रामसिंह की परीक्षा की कसौटी थी । सारा दरबार खचाखच भरा हुआ था । एक ओर महारानी थी, दूसरी ओर एक जौहरी था । जौहरी ने महारानी पर चोरी का आरोप लगाया था । उस आरोप का दण्ड था आजन्म कारावास । अतः सारे दरबारी उत्सुकता से राजा के निर्णय की प्रतीक्षा कर रहे थे । राजा ने उद्घोषणा करते हुए कहा- जो तथ्य प्राप्त हुए हैं उनसे यह स्पष्ट है कि महाराना ने चोरी की है । अतः मैं महारानी को आजन्म कारावास का दण्ड प्रदान करता हूँ । सारे सभासदों ने राजा के इस निर्णय को बहुत ही उत्सुकता के साथ सुना। कितने ही राजा के न्याय की प्रशंसा करने लगे तो कितने ही जौहरी को गालियाँ देते । पर किसी में यह साहस नहीं था कि राजा के न्याय को गलत कहता । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003186
Book TitlePanchamrut
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1979
Total Pages170
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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