________________
गुणों की महत्ता २५ व्यापारी श्याम की बात को कहाँ सुनने वाले थे? अतः श्याम को अपना भव्य भवन बेचने के लिए तैयार होना पड़ा।
दूसरे दिन सारे नगर में यह सूचना प्रसारित हो गई कि श्याम का भव्य भवन नीलाम होने जा रहा है। शंकर ने भी सुना। उसका कलेजा काँप उठा। वह उसी क्षण श्याम से मिलना चाहता था। पर कुछ क्षणों तक चिन्तन के पश्चात् वह रुक गया।
भव्य भवन की नीलामी के लिए सैकड़ों लोग इकट्ठहुए थे। नगर का प्रसिद्ध व्यापारी धन्ना उस भव्य भवन को लेना चाहता था। बोली का क्रम प्रारम्भ हुआ। शंकर भी बढ़िया वस्त्र आभूषणों से सुसज्जित होकर वहाँ पहुँचा था। श्याम नीची नजर किये हुए भीगी आँखों से जमीन को कुरेद रहा था। मकान की नीलामी की बोलियाँ लग रही थीं। कई सेठों ने बढ़-चढ़कर बोली लगाई। बोली दो लाख से चालू होकर छह लाख तक चली। शंकर मौन मुद्रा में एक ओर बैठा था। जब छह लाख पर बोली अटक गई तो उसने आवाज लगाई–'सात लाख।' छह लाख से आगे कोई उस भव्य भवन को खरीदने हेतु प्रस्तुत नहीं
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org