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________________ दुर्गुणों की उपेक्षा एक श्रेष्ठी की पत्नी स्वभाव से बहुत ही क्रूर थी। वह प्रतिदिन प्रातःकाल उठकर पति को नमस्कार करने के स्थान पर प्रतिदिन जूते से उसकी पिटाई करती। श्रेष्ठी पत्नी के इस दुर्व्यवहार से अत्यधिक तंग आ गया था। पर करता ही क्या ? उसके एक लड़की हुई। लड़की दिन-प्रतिदिन बड़ी होती चली जा रही थी। वह माँ के द्वारा पिता को प्रतिदिन पिटते हुए देखती थी। उसने भी यह प्रतिज्ञा ग्रहण की कि मैं उसी के साथ विवाह करूंगी जो मेरे द्वारा प्रतिदिन सात जूते खाएगा। वह भी अपनी माँ की तरह क्रोधी थी। बात-बात पर झगड़ा करने पर उतारू हो जाती । आस-पास के अड़ोसी-पड़ोसी उसके स्वभाव को देखकर उसकी भर्त्सना करते, पर वह सुधरने के स्थान पर बिगड़ती रही। सभी जगह उसके स्वभाव की चर्चा थी। कोई भी व्यक्ति उससे विवाह करने को प्रस्तुत नहीं था। श्रेष्ठी रात-दिन घुलने लगा-बेटी बड़ी हो गई है। यदि जवानी में काम-वासना से अन्धी बनकर उसने Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003186
Book TitlePanchamrut
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1979
Total Pages170
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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