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तीन लाख की तीन बातें १३ सर्प ने मेरे बदले अपने प्राण त्याग दिये। मैं बच गया। माता-पुत्री दोनों ही अत्यधिक प्रसन्न हुई। पुत्री ने कहा-पिताश्री, मैंने सोचा कि आज यदि सिंहासन पर बैठना हो तो महिला के वेष में बैठना उचित नहीं होगा। इसलिए मैंने पुरुष का वेष धारण किया था।
राजा मन ही मन आह्लादित था कि तीन लाख की तीन बातों ने मेरे जीवन में सुख-शांति की बंसी बजा दी।
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