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तीन लास की तीला ५ विप्र का बुलाया और योग्य आसन पर बिठाकर विप्रदेव से कहा-ये तीन लाख की तीन बातें कौन सी हैं ? मैं उन बातों को लेना चाहता हूँ।
सोमनाथ ने कहा-राजन् ! ये तीनों बातें बड़ी ही महत्त्वपूर्ण हैं। इन बातों का मूल्य भले ही आपको इस समय ज्ञात न हो सके, पर ये तीनों बातें जो मैं आपको बता रहा हूँ वे आपके भविष्य के जीवन को सुनहरा बनाने वाली हैं। वे बातें निम्न हैं
(१) प्रातः ब्राह्ममुहर्त में उठना चाहिए।
(२) अपने सन्निकट जो भी आवे उसका आदर करना चाहिए।
(३) क्रोध के समय सदा शान्ति रखनी चाहिए।
राजा ने तीन लाख मुद्राएँ देकर ब्राह्मण को विदा किया। राजप्रासाद की दीवारों पर ये तीनों बातें उकित करवा दीं। राजा इन तीनों बातों पर प्रतिदिन चिन्तन करता ही नहीं, उन्हें जीवन में उतारने का प्रयास करता।
एक दिन प्रातः राजा ब्राह्ममुहूर्त में उठकर नदी के किनारे परिभ्रमण करने के लिए पहुँचा। तारे टिमटिमा रहे थे। कुछ अन्धकार था। उस शान्त वातावरण में रोने की एक आवाज राजा के कानों में गिरी।
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