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নীল লাহন্ত । নীল রান कोशल नगरी का राजा सूर्यसेन महान् प्रतिभासम्पन्न, प्रजापालक, न्यायी और वीर योद्धा था। उसके राज्य में चाहे गरीब हो चाहे धनवान, चाहे विद्वान् हो चाहे मूर्ख, किसी को भी कुछ भी कष्ट नहीं था। राजा धनवानों की अपेक्षा विद्वानों का अत्यधिक आदर करता था। उसके राज्य में विद्वान् अत्यधिक प्रसन्न थे। __एक बार एक सोमनाथ ब्राह्मण जो बहुत बड़ा विद्वान् था, उसने कोशल नगरी की प्रशंसा सुनी । अतः वह कोशल नगरी में आया। उसके पास अर्थ का अभाव था। अतः उसने मध्य बाजार में से आगे बढ़ते हुए यह आवाज लगाई-तीन लाख की तीन बातें । जो कोई भी लेना चाहे उसे मैं सहर्ष दे सकता हूँ।
राजप्रासाद में बैठे हुए राजा के कर्णकुहरों में सोमनाथ के शब्द गिरे। राजा साश्चर्य विचारने लगा -आज दिन तक इतनी बहुमूल्य बातें मैंने नहीं सुनी हैं। इन बातों में अवश्य ही कोई न कोई रहस्य होना चाहिए। अतः राजा ने अपने अनुचर को प्रेषित कर
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