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मानव का बुद्धिमानी २७ को हम नोच देंगे। वे सभी किसान को पकड़ने के लिए दौड़े, पर किसान अपने घर पहुँच चुका था, इसलिए वे उसका बाल भी बांका न कर सके।
तीसरी बार जब किसान खेती करने के लिए पहुँचा तो बन्दरों ने क्रुद्ध होते हुए कहा-तुमने दो बार हमें ठग लिया है। किन्तु इस बार हमें ठग न सकोगे । यदि तुम्हें हमारी शर्त स्वीकार हो तो खेती कर सकते हो।
किसान ने कहा-जैसा भी आप आदेश देंगे मुझे सहर्ष स्वीकार है। बन्दरों ने कहा-इस बार ऊपर का और जमीन के अन्दर का जो भाग होगा उसे हम लेंगे, बीच के भाग पर तुम्हारा अधिकार होगा।
किसान ने बन्दरों की शर्त स्वीकार करली। इस बार उसने गन्ने की खेती की। जब खेती तैयार हो गई तो पूर्व की तरह किसान खेत पर गाड़ियां लेकर पहुँचा। इस समय बन्दर बहुत ही खुश थे। किसान ने शर्त के अनसार ऊपर का हिस्सा और जमीन में रहने वाले हिस्से को काटकर बन्दरों को दे दिया और स्वयं गन्न लेकर चल दिया। इस बार भी बन्दरों ने जब उसे चखा तो किसी भी प्रकार के मधुर स्वाद का अनुभव न हुआ। उन्होंने देखा–बुद्धिमान मानव से चाहे
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