________________
१५८ पंचामृत कैसा भी समझौता किया जाय, पर वह अपनी बुद्धि के सामने हमें कभी भी टिकने नहीं देगा। हम केवल खेती की देखभाल कर मजदूरी करते रहे और वह सदा ही मधुर व काम की वस्तु को लेकर चलता बना । इसलिए उन्होंने वहाँ से प्रस्थान कर दिया।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org