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पंचामृत
फिर नाराज होने की बात ही क्या है ? मैं तो अब भी तुम जैसा कहोगे वैसा करने के लिए तैयार हूँ ।
बन्दरों ने कहा- तुमने पिछली बार हमें ठग लिया है। इस बार हम तुम्हारे चक्कर में न आएंगे । तुम्हें हमारी शर्त स्वीकार हो तो यहाँ पर खेती कर सकते हो । नहीं तो नहीं। देखो, जो जमीन के अन्दर का भाग होगा उस पर हमारा अधिकार होगा और जो ऊपर का भाग होगा उस पर तुम्हारा अधिकार होगा ।
किसान ने कहा- मुझे आपकी शर्त सहर्ष मंजूर है । किसान ने इस बार खेत में गेहूँ बोये । इस बार भी बन्दर उसका पहरा देते रहे ताकि कोई खेती का नुकसान न कर सके। जब खेती पककर तैयार हुई, तां किसान गाड़ियाँ लेकर उपस्थित हुआ । वह ऊपर का हिस्सा गेहूँ की बालियाँ गाड़ियों में लादकर घर की ओर चल दिया | बन्दर आह्लादित होते हुए खेत में जड़ें निकाल निकालकर चबाने लगे । किन्तु पिछली बार की तरह इस बार भी उनका मुँह कड़वाहट से भर गया । सारे मुँह में मिट्टी भर गई ।
इस बार उन्हें बहुत ही क्रोध आया -- किसान
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