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साहस का पुरुषार १० राजमहल में पहुंची और रोते हुए ही उन्होंने सारी रामकहानी सुना दी। महारानी ने सुना तो वे बेहोश होकर जमीन पर गिर पड़ीं। मन्त्री ने राजवैद्य को बुलाकर महारानी की चिकित्सा करवाई जिससे महारानी होश में आई। मन्त्री ने शीघ्र ही अपने विश्वस्त व्यक्तियों को भेजकर महाराज को सूचित किया कि इस प्रकार राजकुमारी का अपहरण हो गया है। सेनापति राजकुमारी के अपहरणकर्ता की अन्वेषणा करने लगा।
राजा अजितसेन अपने पुत्र महेन्द्र के साथ शीघ्र ही राजधानी पहुँचा। आज उसके चेहरे पर उद्विग्नता थी। मन में अनेक प्रकार के विचार तरंगित हो रहे थे। राजा ने सेनापति से पूछा-मंजुला का कुछ पता लगा है या नहीं?
सेनापति ने निवेदन किया--राजन् ! मंजुला को डाकुओं ने एक पिंजड़े में बन्दकर समुद्र में एक जहाज में लटका दिया है । उस पिंजड़े के नीचे बारूद का ढेर रखा हुआ है और उसके नीचे सशस्त्र बन्दुकधारी व्यक्ति खड़े हैं । जहाज समुद्र के बीच में है।
राजा ने चिन्तित होकर कहा-ऐसा दुस्साहस
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