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पंचामृत
उठा। राज्य का भार मंत्री को देकर वह स्वयं पूत्र के समाचार लेने के लिए विद्यालय पहुँचा। पुत्र को अत्यधिक तल्लीनता के साथ पढ़ते हुए देखकर उसके मन में बहुत ही प्रसन्नता हुई।
राजा के जाने के पश्चात् एक दिन राजकुमारी मंजुला सायंकाल नगर के बाहर के उद्यान में घूमने के लिए पहुँची । घूमते-घूमते अन्धेरा हो गया। वह अपनी दासियों के साथ पुनः लौटने वाली ही थी कि चार सशस्त्र व्यक्तियों ने उन्हें घेर लिया। चार सशस्त्र व्यक्तियों को देखकर मंजुला और उसकी सहेलियाँ घबरा गई। क्योंकि न तो उनके पास शस्त्र थे और बचने का कोई साधन ही था। इतने में एक सशस्त्र व्यक्ति आगे बढ़ा। उसने सहेलियों के देखते-देखते ही मंजुला को अपने कन्धे पर बिठाया और रोती और चिल्लाती हुई मंजुला को लेकर चल दिया। शेष तीन व्यक्तियों ने दासियों से कहा-यदि तुमने जरा भी कोलाहल किया तो तुम्हें मौत के घाट उतार दिया जाएगा। जब तक मंजुला को ले जाने वाला व्यक्ति अदृश्य न हो गया वहाँ तक वे तीनों व्यक्ति वहाँ खड़े रहे । उसके अदृश्य होते ही वे भी वहाँ से चल दिये।
दासियों की जान में जान आई । वे रोती हुई
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