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साहस का पुरस्कार
राजा अजित सेन बहुत ही न्यायप्रिय थे । उसके राज्य में सभी सुख-शांतिपूर्वक अपना जीवनयापन कर रहे थे । राजा बहुत ही शान्त प्रकृति का था । सज्जनों के प्रति उसका अपार अनुग्रह था और दुष्टों के प्रति उसकी दण्ड व्यवस्था बहुत ही कठोर थी जिससे उद्दण्ड व्यक्ति उसके नाम ने ही काँपते थे ।
राजा के एक पुत्र और एक पुत्री थी । पुत्र का नाम महेन्द्रकुमार और पुत्री का नाम मंजुला था । पुत्र कामदेव के समान सुन्दर था तो मंजुला रति के समान सुन्दर थी । राजा ने अपने राज- प्रासाद में ही उनके अध्ययन की व्यवस्था की । दोनों का अध्ययन समाप्त हुआ । राजा ने महेन्द्र को उच्च अध्ययन करने हेतु अन्य स्थान पर जहाँ उच्चतम अध्ययन होता था उस विद्यालय में प्रेषित किया । महेन्द्र अध्ययन में इतना तल्लीन हो गया कि उसे समय ही मिल न पाता कि वह पत्र दे सके । लम्बे समय तक राजा को पुत्र का पत्र प्राप्त न हुआ जिससे वह अत्यधिक चिन्तित हो
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