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१२६ पंचामृत दण्ड दिलवाने के लिए आया था, अपराध करने के लिए नहीं । आपश्री मेरे से नया अपराध कराने जा रहे हैं। मेरी दृष्टि से जितनी भी पर-स्त्रियाँ हैं, वे माँ के समान हैं। मैं उनका अपमान कैसे कर सकता हूँ?
शेरशाह सूरी का हृदय गद्गद हो उठा। उन्होंने मोदी को गले लगा लिया और अपने युवराज को कहा -भविष्य में कभी गलती न करना। क्योंकि प्रजा की बहू-बेटियाँ तुम्हारे लिए माता और पुत्री के समान हैं, उनका सदा आदर करना।
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