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विधि का विधान
उन बैठे हुए व्यक्तियों ने कहा-क्या तुझे पता नहीं है ? आज हमारे नये राजा का चुनाव होने वाला है। कुछ समय पूर्व यहाँ के राजा का निधन हुआ था। उनके कोई सन्तान नहीं है। राजा ने अन्तिम समय में अपने अमात्यों से कहा कि राज का चुनाव पट्टहाथी करेगा । आज शुभ मुहूर्त में हाथी को सजाकर पुष्पमाला देकर उसे मुक्त कर दिया है। हाथी नगर के मुख्य स्थलों पर होता हुआ इधर आ रहा है। इसलिए हम सभी आगे आकर यहाँ बैठ गये हैं। पता नहीं किसके भाग्य में यहाँ का राजा बनना लिखा है। हाथी किसके गले में श्रेष्ठ माला डालेगा?
इतने में तो झूमता हुआ हाथी वहाँ पहुँच गया। उसकी सूंड में पुष्पहार चमक रहा था। हाथी अपनी पैनी दृष्टि से सभी को देखता हुआ आगे बढ़ रहा था। सभी लोग हाथी को पुचकारते थे, अपनी ओर आकर्षित करने का प्रयास करते थे। किन्तु हाथी आगे बढ़ता चला जा रहा था । एकाएक हाथी गोविन्द के सामने आकर रुक गया। उसने गोविन्द के गले में वह पुष्पहार डाल दिया। सर्वत्र जय-जयकार से आकाश मंडल गूंज उठा । गोविन्द आश्चर्य से देखने लगा। उसे लगा वह
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