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विधि का विधान ११७ चल दिया। पहुँचते ही नन्दिनी ने पूछा- बताओ, ज्योतिषी ने क्या कहा ?
गोविन्द ने कहा---राजकुमारी ! मैंने आपको पहले ही निवेदन किया था कि इस प्रकार के ज्योतिषी सत्य नहीं कहते हैं । उस ज्योतिषी ने ऐसी बात कही है कि मैं उसे अपने मुह से नहीं कह सकता।
राजकुमारी ने जरा तेज स्वर में कहा--ज्योतिषी ने जो भी बताया हो, वह तुम्हें बताना होगा।
गोविन्द ने नम्रता से कहा-वह इतनी बुरी बात है कि मैं उसे अपनी जबान से कह नहीं सकता।
राजकुमारी ने आँखें लाल करते हुए कहा--मेरा आदेश है कि जो बूढ़े ने कहा हो, सच-सच बता दो । यदि तुमने मेरी आज्ञा की अवहेलना की तो मैं तुझे दण्ड दिलवाऊँगी।
गोविन्द ने कहा-~~-आपके आदेश का पालन करना मेरा कर्तव्य है। उस बूढ़े ज्योतिषी ने कहा आपका विवाह मेरे साथ होगा।
नन्दिनी ने ज्यों ही यह सुना उसका क्रोध सातवें आसमान में पहुँच गया- अरे बदतमीज, इस प्रकार कहते हुए तुझे शरम नहीं आती ?
उसने अपने हाथ में जो चाँदी की टोकरी थी
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