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________________ ११६ पंचामृत ___ लोगों की भीड़ को चीरकर वृद्ध ज्योतिषी एकान्त में पहुँचा और पूछा--क्या पूछना चाहते हो ? गोविन्द ने कहा--- राजकुमारी नन्दिनी यह जानने के लिए उत्सुक है कि उसका विवाह किसके साथ होगा। उस वृद्ध न घास के दो तिनके उठाये। उनमें गाँठ लगाई। कुछ क्षणों तक उसे अच्छी तरह से देखता रहा। फिर गोविन्द की ओर देखकर मुस्कराने लगा। गोविन्द ने कहा- जल्दी बताइए, राजकुमारी प्रतीक्षा कर रही है। बूढ़े ने कहा- राजकुमारी नन्दिनी का पाणिग्रहण तुम्हारे साथ होगा। __गोविन्द ने आश्चर्य से चौंककर कहा----ज्योतिषीप्रवर ! जरा अच्छी तरह से देखिए। आपकी यह बात बिलकुल ही मिथ्या है । क्योंकि मैं राजकुमारी नन्दिनी अनुचर हूँ । अतः कुछ सोचिए । यह अनहोनी बात कभी नहीं हो सकती। बूढ़े ने अपनी मूछों पर ताव देते हुए कहागोविन्द ! मेरी बात कभी भी मिथ्या नहीं हो सकती। तू ही नन्दिनी का होने वाला पति है। गोविन्द भारी कदमों से राजकुमारी की ओर Jain Education International For Private & Personal Use Only ___www.jainelibrary.org
SR No.003186
Book TitlePanchamrut
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1979
Total Pages170
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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