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बालक का बलिदान
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दृश्य देखा नहीं जाता। मेरे देश निवासी अन्न और जल के अभाव में छटपटाते हुए मर रहे हैं । मैं इसे देख नहीं सकता ? मेरो पूज्य माता-पिता ने मुझे अनुमति देकर मेरे पर महान् उपकार किया है। एक के बलिदान से हजारों-लाखों प्राणियों की रक्षा होती है तो इससे बढ़कर और क्या प्रसन्नता होगी ?
दिव्य देवशक्ति ने बालक के सिर पर हाथ रखते हुए कहा- धन्य है तेरा जीवन ! जिस देश में ऐसे तेजस्वी और देश के लिए समर्पित होने वाले बालक हैं, वहाँ दुष्काल नहीं रह सकता । मैं अभी इस प्रकार की वर्षा करूँगा जिससे सर्वत्र आनन्द का सागर लहराने लगे ।
देवशक्ति देखते ही देखते अन्तर्धान हो गई । आकाश में उमड़-घुमड़कर घटाएँ घहराने लगीं और हजार-हजार धारा के रूप में पानी बरसने लगा । कुछ समय के पश्चात् चारों ओर हरियाली लहलहाने लगी । लोगों के हृदय के तार झनझना उठे । धन्य है ऐसे परोपकारी शतमन्यु बालक को, जिसके कारण देश मृत्यु के मुह में जाता हुआ बच गया । ऐसे श्रेष्ठ बालक ही राष्ट्र की शान हैं ।
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