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ব্রিঙি চা ব্রিগান
नर्मदा के किनारे राजा चित्रदेव का भव्य प्रासाद था। उस प्रासाद में अनेक अनुचर थे। उन अनुचरों में एक गोविन्द नामक अनुचर भी था । राजकुमारी नन्दिनी राजप्रासाद के सन्निकट उपवन में फूल तोड़ने के लिए पहुँची। नन्दिनी फूल तोड़कर चाँदी की टोकरी में डाल रही थी। जब टोकरी फूलों से लबालब भर गई तो वह राजप्रासाद की ओर चल दी। लौटते समय उपवन के द्वार पर बैठा हुआ एक सफेद दाढ़ीवाला वृद्ध उसे दिखाई दिया। नन्दिनी ने पूछा---गोविन्द ! यह बूढ़ा कौन है ? जरा जाकर पता लगाओ। तुम जल्दी से लौटकर आओ। मैं यहीं पर खड़ी हूँ।
गोविन्द बढ़े के पास पहुँचा। उसने लौटकर बताया--राजकुमारी ! वह बूढ़ा ज्योतिषी है। वह यह बताता है कि किसका विवाह किसके साथ होने वाला है।
राजकुमारी ने कहा-यह तो बहुत अनोखी बात है। वह कैसे बताता है ?
गोविन्द ने कहा-वह घास के दो तिनकों को
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