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११० पंचामृत . प्राणियों की यदि रक्षा होती हो और देश दुष्काल के भयंकर संकट से मुक्त होता हो तो मैं अपने प्राण सहर्ष देने के लिए प्रस्तुत हूँ।
"यह बालक देश के लिए अपने प्राणों को न्यौछावर करना चाहता है। पर इसकी उम्र तो बहुत ही कम है।" प्रधान अमात्य ने राजा की ओर देखकर कहा। बालक ने मुस्कराते हुए कहा-राजन् ! आप मेरे तन के छोटेपन को न देखिये, उम्र को न देखिये। जहाँ तक मैंने सुना है नरमेध यज्ञ के लिए नर की बलि दी जाती है, भले ही वह नर बालक हो, तरुण हो या वृद्ध हो । वय की दृष्टि से उसमें कोई अन्तर नहीं पड़ता।
प्रधान अमात्य ने कहा-बालक शतमन्यु, तुम्हारा कथन सत्य है। पर इसके लिए तुम्हें अपने अभिभावकों की अनुमति लेनी चाहिए। क्योंकि जब तक अभिभावक अनुमति न दें वहाँ तक तुम्हारी बलि नहीं दी जा सकती क्योंकि अभी तक तुम नाबालिग हो।
मंत्री अपनी बात पूरी भी न कर पाया कि उस विराट् जन समुदाय में से एक वृद्ध सज्जन आगे बढ़ा । राजा को अभिवादन कर कहा–राजन् ! यह मेरा इकलौता पुत्र है। आज मेरा हृदय हर्ष से उछल रहा है कि
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