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लाख नहीं, साख
कपड़े का एक बहुत बड़ा व्यापारी था । प्रामाणिकता और नीति से वह व्यापार करता था । ग्राहकों के साथ उसका बहुत ही मधुर व्यवहार था जिससे वह नगर का लोकप्रिय व्यापारी बन गया । अन्य वस्तुओं के साथ वह रेशम के बहुमूल्य वस्त्र भी रखता था । एक दिन राजा को रेशम के बहुमूल्य वस्त्रों की आवश्यकता हुई। उसने अपने अनुचर भेजकर व्यापारी को बुलवाया । व्यापारी एकाएक बुलाने के कारण घबरा गया । राजा ने उसने पूछा- बताओ, तुम्हारी दूकान में रेशम के वस्त्र हैं ?
व्यापारी समझ ही नहीं सका कि वह क्या उत्तर दे ? अकस्मात् उसके मुँह से निकल गया - महाराज ! मेरी दूकान में रेशम के वस्त्र नहीं हैं ।
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वह लौटकर जब दूकान पर आया तो उसे ध्यान आया कि मैंने भय के कारण राजा के सामने झूठ बोल दिया है । वह मन ही मन घबराने लगा ।
राजा के चापलूस अनुचरों ने कहा- राजन्
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