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स्वप्न फल
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बुद्ध ने कहा- यह स्वप्न भी भविष्य का ही चित्रण कर रहा है। शेर के समान जो धर्मी हैं उनको भेड़ और बकरियों की तरह पापी लोग भगा देंगे। वे उन पर ऐसे आरोप लगाएँगे जिससे उन पापियों और दुरात्माओं से वे बचते रहेंगे ।
राजा सभी स्वप्नों के फल को सुनकर बहुत ही प्रमुदित हुआ ।
बुद्ध ने कहा- राजन् ! ये पण्डित लोग तुम्हें भ्रम में डालकर अपना कार्य सिद्ध करना चाहते हैं । हिंसा - परक कृत्य से वे शांति करना चाहते हैं जो कभी भी संभव नहीं है । तुम्हें घबराने की आवश्यकता नहीं है । इन स्वप्नों का फल तुम्हारे लिए कुछ भी नहीं । तुम्हारे को कोई अनिष्ट नहीं होगा। तुम अहिंसा को अपनाओ, दान, धर्म और शील की आराधना करो जिससे तुम्हारें जीवन में सुख-शान्ति का सरसब्ज बाग लहराने लगे ।
राजा ने तथागत बुद्ध के उपदेश से प्रभावित होकर हिंसापरक यज्ञ का परित्याग कर दिया ।
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