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१०२ पंचामृत
पुरुषार्थ घरमालिकिनी के सामने कुछ नहीं चलेगा । उस पर उन्हीं का शासन रहेगा ।
राजा ने कहा- भगवन् ! मैंने पन्द्रहवें स्वप्न में देखा - एक राजहंसों की सुन्दर सभा है । उस सभा का नेतृत्व एक कौआ कर रही है । वह अध्यक्ष के स्थान पर नियुक्त है ।
बुद्ध ने कहा- भविष्य में जो व्यक्ति राजहंस की तरह कुलीन हैं उनके हाथों से शासनसूत्र निकल जाएगा और अकुलीन तथा दुर्व्यसनी व्यक्ति जो कौए के समान हैं वे शासनसूत्र का संचालन करेंगे और अपने संकेत पर उन राजहंसों को नचाएँगे ।
राजा ने निवेदन किया- भगवन् ! मैंने सोलहवें स्वप्न में देखा कि भेड़-बकरियों के झुण्ड ने मिलकर शेर को भगा दिया है। शेर उनसे भयभीत होकर भाग रहा है।
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उसभारूक्खा
गावियो गवाच,
अस्सो कंसो सिगाली च कुंभो । पोक्खरणी च अपाक चंदन लापु, निसीदस्ति सिलाप्लवन्ति ॥ मण्डकियो कण्ह सप्पे गिलंति, काकं सुवण्णा ।
परिवारयति तसावक्ता एलकानं भयाहि ।
विपरियां
सक्त
तिन
इधमत्थी ! |
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