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१०० पंचामृत जीवन बहुत ही कष्टप्रद होगा। नगर निवासियों की अपेक्षा ग्रामीण व्यक्तियों का जीवन सुखी होगा।
राजा ने कहा-मैंने दसवें स्वप्न में देखा-एक ही बरतन में चावल पकाये हैं। उनमें से कुछ चावल तो बहुत ही अच्छी तरह से पक गये हैं। कुछ चावल आधे पके हुए हैं और कुछ चावल बिलकुल ही नहीं पके हैं।
बुद्ध ने कहा-राजन् ! प्रस्तुत स्वप्न भी भविष्य का ही प्रतीक है। किसी स्थान पर अत्यधिक वर्षा होगी, किसी स्थान पर कम वर्षा होगी और किसी स्थान पर बिलकुल ही सूखा रहेगा। खेतों में भी किसी खेत में अत्यधिक अन्न उत्पन्न होगा, किसी में कम होगा और किसी में बिलकुल न होगा।
राजा ने निवेदन किया-भगवन् ! मैंने ग्यारहवें स्वप्न में देखा एक लाख स्वर्णमुद्राओं का कीमती गोशीर्ष चन्दन खट्टी छाछ के बदले में बिक रहा है।
बुद्ध ने कहा-श्रमण लोग गोशीर्ष चन्दन की तरह कीमती हैं। किन्तु वे अपने लक्ष्य को भूल जाने के कारण अशन-वसन-भवन आदि के लिए साधना को विस्मृत होकर भटकते रहेंगे। जो वस्तुएँ खट्टी छाछ की तरह निर्मूल्य हैं उनके बदले में अपनी कीमती साधना बेच देंगे।
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