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६८ पंचामृत
होंगे | राज्यश्री उनके चरण चूमने के लिए लालायित रहेगी ।
राजा ने निवेदन किया- भगवन् ! मैंने सातवें स्वप्न में देखा एक व्यक्ति रस्सी को बँटता जा रहा हैं और पीछे से एक शृगालिनी उस रस्सी को खा रही है जिससे उसकी सारी मेहनत व्यर्थ हो रही है ।
बुद्ध ने कहा- भविष्य में पति कठिन श्रम करके धन अर्जित करेगा और पत्नी उस समस्त धन को अपने आभूषण, वस्त्र तथा अन्य भौतिक पदार्थों के पीछे खर्च कर देगी जिससे सन्तानों का भरण-पोषण भी कठिन होने लगेगा |
राजा ने कहा - भगवन् ! आठवें स्वप्न में मैंने देखा कि राजद्वार पर बहुत सारे घड़े रखे हुए हैं। उन घड़ों के बीच में एक बड़ा घड़ा रखा है जो पानी से लबालब भरा है, किन्तु शेष छोटे घड़े खाली पड़े हैं । उस समय चारों दिशाओं से चारों वर्ण के लोग आते हैं और उस बड़े घड़े में पानी डालते हैं । पानी बाहर निकल रहा है जिससे आसपास कीचड़ ही कीचड़ हो गया है । पर कोई भी उन छोटे घड़ों में जो खाली पड़े हैं, उनमें पानी नहीं डाल रहा है । वे खाली सूखे पड़े हैं ।
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