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बुद्ध ने कहा-यह स्वप्न भी भविष्य की सूचना दे रहा है। भविष्य में न्यायालय या शासन-सूत्र का संचालन योग्य व्यक्तियों को न देकर अयोग्य व्यक्ति को दिया जाएगा। वे स्वार्थी लोग शासन को सम्यक् प्रकार से न चला सकेंगे और जनता दलदल में फंस जाएगी। वह संत्रस्त होकर शासक को पुकारेगी, पर शासक उनकी एक भी न सुनेगा। सभी अपनी स्वार्थसिद्धि में लगे रहेंगे।
राजा ने कहा-पांचवें स्वप्न में मैंने दो मुह वाला घोड़ा देखा जो हरी-भरी घास को दोनों मुह से खा रहा है।
बुद्ध ने कहा-यह स्वप्न भी भविष्य का ही सूचक है। भविष्य में बड़े-बड़े सत्ताधारी व्यक्ति भी प्रगट रूप से रिश्वत लेंगे।
राजा ने कहा-छठे सपने में मैंने देखा-स्वर्ण थाली में शृगाल मलमूत्र विसर्जन कर रहे हैं।
बुद्ध ने कहा-यह स्वप्न भी भविष्य का ही सूचन करता है। आने वाले भविष्य में जो विशिष्ट सज्जन पुरुष होंगे उनका सत्कार नहीं होगा। उनकी कुलमर्यादाएँ समाप्त हो जाएंगी और जो दुष्ट प्रकृति के व्यक्ति होंगे, वे पनपने लगेंगे। वे ऐश्वर्यसम्पन्न
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