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________________ ६६ पंचामृत ... राजा ने निवेदन किया-भगवन् ! द्वितीय स्वप्न में मैंने देखा कि वृक्ष दो बालिश्त का ही है और वह फलने-फूलने लगा है। बुद्ध ने कहा-प्रस्तुत स्वप्न का फल भी भविष्य में होने वाली घटनाओं का सूचक है। भविष्य में छोटीछोटी बालिकाएँ पुत्र-पुत्रियों को जन्म देंगी। . राजा ने निवेदन किया-भगवन् ! मैंने तृतीय स्वप्न में देखा कि गाय अपनी बछड़ी का दूध पी रही - तथागत ने कहा--प्रस्तुत स्वप्न भी भविष्य का सूचक है। आने वाले भविष्य में माता-पिता अपनी सन्तानों को बेचकर उस धन से अपनी आजीविका चलायेंगे। वे सन्तानों पर आश्रित हो जायेंगे । उनका मुह ताकते रहेंगे। । राजा ने कहा-भगवन् ! मैंने चतुर्थ स्वप्न में देखा-महासामर्थ्यवान बैल जो रथ में जुतने योग्य हैं उन्हें रथ में न जोतकर अपरिपक्व बैलों को रथ में जोत दिया गया है, जो कुछ क्षणों तक रथ के भार को खींचते रहे, पर शक्ति के अभाव में भार को न खींचने के कारण मध्य रास्ते में ही गिर पड़े जिससे रथ में बैठने वाले संत्रस्त हो गये। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003186
Book TitlePanchamrut
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1979
Total Pages170
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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