________________
६५
ठहरे हुए थे । अभिवादन कर अपने देखे हुए सोलह स्वप्नों के सम्बन्ध में पूछने लगा। बुद्ध ने मधुर मुस्कान बिखेरते हुए कहा - राजन् ! तुम अपने सभी स्वप्न मुझे क्रमशः सुनाओ। मैं उन स्वप्नों के सम्बन्ध में अपने यथार्थ विचार तुम्हें सुनाऊँगा ।
राजा ने कहा - भदन्त ! सर्वप्रथम मैंने स्वप्न में देखा - कृष्ण वर्ण के चार मदोन्मत्त सांड चारों दिशाओं से लड़ने के लिए मध्य चौराहे में आए हैं । वे गंभीर उद्घोषणा कर रहे हैं। उनकी गंभीर गर्जना को सुनकर हजारों लोग उन्हें देखने के लिए वहाँ एकत्रित हो गये हैं । किन्तु कुछ क्षणों के पश्चात् वे बिना लड़े ही लौट गये । कृपया बताइये इस स्वप्न का क्या फल होगा ?
स्वप्न-फस
बुद्ध ने कहा -- इस स्वप्न का फल तुम्हें प्राप्त नहीं होगा । इसका फल भविष्य पर आधृत है । देखो, कलियुग में चारों ओर से काले कजरारे बादल उमड़-घुमड़ कर आयेंगे । जनता को ऐसा प्रतीत होगा कि भयंकर वर्षा होने वाली है । सभी लोग अपनी सुरक्षा के लिए तैयारी करेंगे । किन्तु देखते-देखते कुछ ही क्षणों में बादल छँट जायेंगे और चिलचिलाती धूप निकल आएगी । जनता वर्षा के लिए तरसती रह जाएगी ।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org