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स्वप्न-फल
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परिणाम अत्यधिक हानिप्रद होगा। आपको ही नहीं संपूर्ण प्रजा पर कष्टों का पहाड़ गिरने वाला है।
यह सुनते ही कोशलनरेश अत्यधिक चिन्तित हो उठे। उन्होंने कहा-विज्ञो ! ऐसा कोई उपाय करो जससे स्वप्नों का दुष्प्रभाव सदा के लिए मिट जाय।
पंडितों ने विचार किया-इस समय बहुत बड़े सम्राट् को फंसाने का सुअवसर प्राप्त हुआ है। अतः हमें बहुत बड़ी योजना राजा के सामने प्रस्तुत करनी चाहिए। उन्होंने कहा-राजन् ! इस स्वप्न के दुष्प्रभाव को मिटाने के लिए हमें यज्ञ करना होगा। उस यज्ञ के लिए सैकड़ों पशुओं की बलि देनी होगी। यदि आप चाहें तो हम उस कार्य को कर सकते हैं। . राजा ने सहर्ष कहा-राज्य की सुरक्षा के लिए, प्रजा की सुख शांति के लिए मुझे जो कुछ भी करना होगा मैं करने के लिए तैयार हैं। इसमें आप जो भी करना चाहें सहर्ष कर सकते हैं। आप अपना कार्य प्रारम्भ करें और जो भी आज्ञा हो मुझे सहर्ष सूचित कर दें।
पंडितों ने एक विराट् यज्ञ का आयोजन किया। जहाँ-तहाँ बढ़िया पशुओं को एकत्रित करना प्रारंभ किया। हजारों पशु एकत्रित किये गये । उनके करुण
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