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________________ २६ | सृष्टि का मूल माता की ममता, बहन का स्नेह, भाई का प्र ेम, मित्र का विश्वास, स्वजन का निजत्व किसी एक शब्द में व्यक्त करना हो तो वह शब्द क्या है ? दो अक्षर का वह शब्द है - "दया !" दया अनन्त सुखों की कल्पवेल है, अमरता का अमृत घट है, कल्याण और परम आनन्द का अक्षय निधान है । जैन सूत्र दया की महिमा में मुखर होकर कहते हैं" एसा भगवती दया...." ―― यह दया भगवती है, भगवत्स्वरूपा है, प्राणियों को पृथ्वी की तरह शरण है, प्यासों को जलाशय की भांति आधार है । पुराने संतों की एक उक्ति आज भी प्रत्येक धर्म प्रवचन के प्रारंभ में दुहराई जाती है zabadging "दया सुखां री बेलड़ी, दया सुखां री खाण'... आधुनिक युग के चिन्तक मनीषी टालस्टाय के शब्दों में 'दया' मानव सृष्टि का मूल है । टालस्टाय ने एक कहानी के माध्यम से 'दया' की महत्ता का दर्शन कराया है ६५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003185
Book TitleKhilti Kaliya Muskurate Ful
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1970
Total Pages288
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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