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एक छिद्र ! दुर्गुण जीवन के छिद्र हैं।
एक ही छिद्र नौका को डुबोने के लिए काफी है, वैसे ही जीवन में एक भी दुगुण हो, तो वह व्यक्ति को संसार की यात्रा में मंझधार में ही डुबो देता है।
जैसे- जाउ अस्साविणीनावा न सा पारस्स गामिणी' -छिद्र वाली नौका उस पार नहीं जा सकती, वैसे ही दुगुर्गों से आक्रांत जीवन अपने लक्ष्य तक नहीं पहच सकता। ___एक बार तथागत बुद्ध के शिष्य परस्पर चर्चा कर रहे थे—“संसार में कौन सा दुर्गुण मानव का शीघ्र पतन करता है ?"
किसी ने कहा- “सुरा से मनुष्य शीघ्र नष्ट हो जाता है।"
किसी ने कहा-'सुन्दरी ही मानव जाति के पतन का कारण रही है।"
१ उत्तराध्ययन-२३
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