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गाला कहाँ जायेगी? ___अकेला बोलते-बोलते ब्राह्मण थक गया। गाली तो गाली से बढ़ती है। प्रत्युत्तर में गाली नहीं मिली तो ब्राह्मण चुप होकर तथागत की ओर घूरने लगा।
ब्राह्मण को शांत हुआ देख तथागत बोले- 'क्यों भाई ! तुम्हारे घर कभी अतिथि आते हैं ?"
"आते तो हैं"-ब्राह्मण ने रोष पूर्वक कहा । "तुम उनका सत्कार करते हो ?"
'कौन मूर्ख है, जो अतिथि का सत्कार नहीं करेगाब्राह्मण झल्लाकर बोला।
"तुम्हारी अर्पित वस्तुए, मिष्टान्न आदि सामग्री यदि अतिथि स्वीकार न करें तो वे कहाँ जायेगी ?"बुद्ध ने पूछा।
ब्राह्मण झुझला कर बोला-"वे कहाँ क्या जायेगी, मेरी वस्तुए मेरे ही पास रहेगी।"
"तो भद्र ! तुम्हारी दी हुई गालियां मैं स्वीकार करना नहीं चाहता । अब यह गाली कहाँ जायेगी ?"
बुद्ध के शांत वचन से ब्राह्मण का क्रोध शांत हो गया। वह अपने आप पर लज्जित हो, मौन भाव से चरणों में विनत हो गया।
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