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चमत्कार बनाम सदाचार
४५ . कुछ समय बाद बुद्ध का शिष्य कश्यप उधर से गुजरा। उसने दूर खड़े रहकर मंत्र-शक्ति से प्याले का आह्वान किया, जैसे ही हाथ ऊपर को बढ़ा, प्याला उसके हाथ में
आ गया। पहरेदार व दर्शक चकित हुए कश्यप के पीछे पीछे बौद्ध विहार में आये। ___ कुछ ही क्षणों में विशाल भीड़ जमा हो गई। भीड़ ने 'भगवान बुद्ध की जय' बोली, जिनके कि कश्यप जैसे महान् साधक शिष्य है।
बुद्ध स्वयं कश्यप के पास पहुचे, एक झटके में ही उस प्याले को भूमिपर पटक कर तोड़ डाला, और शिष्यों को सम्बोधित करके बोले -"मैंने तुम लोगों को चमत्कार प्रदर्शन के लिए बार-बार मना किया है। यदि तुम्हें इन मोहक, वशीकरण, आकर्षण आदि चमत्कारों से ही जनता को प्रभावित करना है,तो मैं स्पष्ट कहता हूँ कि तुम लोगों ने धर्म को समझा ही नहीं है। अपना कल्याण चाहते हो तो चमत्कार से बचकर सदाचार का अभ्यास करो, सदाचार ही संसार का महान् चमत्कार है।"
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