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नाम और काम सिद्धि नाम से नहीं, कर्म से मिलती है। यदि कर्म सुन्दर है, श्रेष्ठ है, तो असुन्दर प्रतीत होने वाला नाम भी चमत्कार दिखा सकता है।
नाम का सुन्दर साईनबोर्ड लगाकर यदि काम में 'रेवड़ी का नाम गुलसप्पा' है, तो वह संसार में हेय समझा जाता है। उसीके लिए कहावत है--"नाम मोटे दर्शन खोटे।"
आज संसार में नामों की महिमा हो रही है। रूप में 'कालीचरण' होते हुए भी लोग अपना नाम 'गुलाबचन्द' रखना चाहेंगे। पास में एक नया पैसा न हो, पर नाम तो 'लखपतराय' या 'धनराज' ही पसन्द किया जाता है। किंतु जब मनुष्य भीतर की गहराई में देखता है, नामों के लेबल हटाकर असलियत को देखता है तो उसके भ्रम यों हट जाते हैं जैसे दक्षिणी पवन से बादलों के काले झुड !
बौद्धजातक की एक कहानी नाम के व्यामोह और उसकी असलियत पर सुन्दर प्रकाश डालती है। Jain Education International For Private Srsonal Use Only
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