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जोवन स्फूर्तियाँ
जाने कितने दिनों की मजदूरी से उसने ये पैसे बचाकर इस पुण्य कार्य में दिए हैं, अतः मैंने उसका दान सबसे बड़ा दान माना है, शायद इस निर्णय में मुझसे कोई भूल तो नही हुई न ?"
मंत्रीवर का स्पष्टीकरण सुनकर लक्ष-दानी श्रेष्ठिजनों का सिर श्रद्धा से नीचे झुक गया ।
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