________________
गाली क्यों हूँ?
वाणी सरस्वती का रूप है, मुख सरस्वती का मंदिर है। जो मनुष्य वाणी से असभ्य और दुर्वचन बोलता है, वह वाग देवता का अपमान करता है । उसकी वाणी अपवित्र हो जाती है। यजुर्वेद में एक प्रार्थना की गई है
___ "जिह्वा मे भद्र वाङ महो?" -मेरी जिह्वा कल्याणकारी हो, मेरी वाणी महिमामयी हो । वाणी से अमृत बरसाने वाला, स्वयं भी अमृत पान करता है। वाणी से जहर बरसाने वाला स्वयं भी उस जहर से संतप्त हो उठता है। यदि कोई दूसरा अभद्र शब्दों का विष वमन करता है, तो क्या उसके समान उसके उत्तर में अभद्र शब्द बोलना बुद्धिमानी
-
-
-
१. यजुर्वेद २०१६
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org