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आत्महत्या
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फिर चारों ओर एक सनसनी फैल गई। तभी नीतिद्रष्टा श्री कृष्ण ने अर्जुन को सावधान किया- " शस्त्र से शरीर के टुकड़े कर डालना, या अग्नि में जल मरना ही आत्महत्या नहीं है ।"
"तो फिर आत्महत्या का क्या तरीका है ?" - अर्जुन की जिज्ञासा उमड़ पड़ी ।
" अपने मुंह से अपनी प्रशंसा करना - यही सबसे बड़ी आत्महत्या है" - वासुदेव की उक्ति पर अर्जुन ने जी भरकर आत्म प्रशंसा कर आत्मदाह का अनुभव किया ।
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