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________________ अनुश्र त श्र तियाँ जिसके होते हुए भी कर्ण ने मेरा ऐसा कठोर अपमान कर डाला?" भाई के अपमान से अर्जुन खिन्न था, पर गाण्डीव का अपमान सुनकर तो वह स्वयं बड़े भाई पर ही आग बबूला हो उठा । "मेरे गाण्डीव का अपमान मेरी मृत्यु से भी बढ़कर है, मैं पहले इस अपमान का बदला लूगा।" क्रोधोन्मत्त अर्जुन ने . प्रत्यंचा पर बाण चढ़ा लिया। युधिष्ठिर पर अर्जुन को गाण्डीव उठाया देख, सर्वत्र सन्नाटा छा गया। तभी श्री कृष्ण ने अर्जुन को ललकारा-"धनुर्धर ! अपने अपमान का बदला लो, भाई का वध करो ! पर मालूम है, बड़ों का वध कैसे किया जाता है ?" . अर्जुन के हाथ रुक गए और जिज्ञासा भरी नजर से श्री कृष्ण की ओर देखने लगा। "अपने से बड़ों का वध शस्त्र से नहीं, अपशब्द से किया जाता है।"-श्री कृष्ण का बोध सूत्र पाकर अर्जुन ने अभद्र शब्दों से युधिष्ठिर की भर्त्सना की, जी भर कर। ___'पर यह क्या ? अजुन का क्रोध उतरते ही वह बड़े भाई के अपमान की आत्मग्लानि से तिलमिला उठा। गुरुजनों के अपमान का प्रायश्चित्त 'आत्मदाह है, अर्जुन अब आत्मदाह करके स्वयं को समाप्त करने पर तुल गया। Jain Education International For Private & Personal Use Only ___www.jainelibrary.org
SR No.003185
Book TitleKhilti Kaliya Muskurate Ful
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1970
Total Pages288
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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